Monday, November 14, 2011

त्रिवेणी: बहाने

कल फिर कुछ कहूँगी मैं,
तुम फिर सुनने का नाटक करना |
इसी बहाने, परसों मिलने की आस रहेगी ||

1 comment:

heh? ok said...

LOVE it :)