A space for a self-professed narcissist. A world where nothing and no one can demarcate fiction from reality.
Friday, October 07, 2011
'गुब्बार'
दोस्त का लिबास पहन के आया था वो इसलिए अपना 'गुब्बार' छिपा ना सकी कल पता चला की अपने दोस्त की पैरवी करने आया था खुशनसीब है कुछ लोग की उनके दोस्त बहुत अच्छे हैं
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