Monday, November 14, 2011

त्रिवेणी: बहाने

कल फिर कुछ कहूँगी मैं,
तुम फिर सुनने का नाटक करना |
इसी बहाने, परसों मिलने की आस रहेगी ||

Sunday, November 06, 2011

त्रिवेणी: वक़्त


तुम सुलगते रहे,
मैं पिघलती रही,
और वक़्त गुज़र गया|